नारायणपुर जिले के अबूझमाड़ इलाके का वह इलाका, जिसे विकास की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए सरकार ने करोड़ों रुपए खर्च करके सड़क और पुल निर्माण का सपना दिखाया था, आज भी अधूरा और बदहाल पड़ा है। नारायणपुर से ओरछा तक लगभग 65 किलोमीटर लंबी सड़क तो बन गई, लेकिन कुछ ही समय में यह सड़क उखड़कर गड्ढों और कीचड़ में तब्दील हो चुकी है। वहीं, सरकार ने इस क्षेत्र तक पहुंच आसान बनाने के लिए नारायणपुर से ओरछा तक सड़क निर्माण की शुरुआत की थी। लगभग 65 किलोमीटर की यह सड़क कुछ साल पहले बनकर तैयार हुई भी, लेकिन निर्माण की गुणवत्ता और भारी ट्रकों की बेलगाम आवाजाही के चलते यह सड़क अब गड्ढों और कीचड़ में बदल चुकी है। खासतौर पर लोह अयस्क खदानों से रोज़ाना दौड़ने वाले भारी वाहनों ने इस पक्की सड़क को पूरी तरह से तोड़ डाला है। इस मार्ग से चलने वाले शासकीय कर्मचारी एवं ,बच्चों को स्कूल , आंगनबाड़ी जाने में दिक्कतें झेलनी पड़ती हैं और मरीजों को इलाज के लिए अस्पताल पहुंचना किसी बड़ी जंग से कम नहीं होता। बरसात में तो हालात इतने खराब हो जाते हैं कि कई बार एम्बुलेंस तक इस रास्ते में फंस जाती है। स्थानीय लोग बताते हैं कि बरसों पहले बनी इस पक्की सड़क को सरकार ने तो विकास का नाम दिया, लेकिन हकीकत में आज यह सड़क उनके लिए मुसीबत का सबब बन गई है। सड़क जगह-जगह से उखड़ चुकी है और गड्ढों में तब्दील हो गई है। बरसात के दिनों में यह रास्ता दलदल में बदल जाता है, जिससे पैदल यात्रियों तक का गुजरना मुश्किल हो जाता है।ग्रामीणों का कहना है कि जिम्मेदार अधिकारियों और ठेकेदारों की मिलीभगत और लापरवाही के चलते करोड़ों रुपए की लागत से बनी सड़क और पुल आज तक जनता के काम नहीं आ पाए हैं। हालत यह है कि अबूझमाड़ जैसे संवेदनशील और दूरदराज के इलाके में लोगों की तकलीफें बढ़ रही हैं, लेकिन कोई सुनवाई करने वाला नहीं है। आज इस बदहाल सड़क को लेकर ग्राम झारा के ग्रामीणों ने रोड पर किया चक्का जाम इसे लेकर सवाल यही है कि आखिर कब तक यह अधूरा बदहाल सड़क उनके जीवन की राह में रोड़ा बनते रहेंगे? करोड़ों की योजनाएं बनने के बाद भी अगर जनता को सुविधा न मिले, तो ऐसे विकास का क्या अर्थ है?
संवाददाता – खुमेश यादव











