S इंडिया News
स्पेशल रिपोर्ट | ग्राउंड ज़ीरो से मुख्यधारा तक – S इंडिया न्यूज़ की पहल
बीजापुर | 21 दिसंबर 2025
21 दिसंबर 2025 की सुबह ठीक 7 बजे।
इंद्रावती नेशनल पार्क के घने और दुर्गम जंगलों से लगातार फोन कॉल आने लगे। कॉल करने वालों की आवाज़ में भय भी था और भरोसे की उम्मीद भी। सूचना स्पष्ट थी—कुछ माओवादी आत्मसमर्पण करना चाहते हैं, लेकिन उनकी केवल एक शर्त है—सुरक्षा और विश्वास।
खबर की गंभीरता और संवेदनशीलता को समझते हुए S इंडिया न्यूज़ की टीम ने बिना किसी देरी के रायपुर से बीजापुर के लिए रवाना होने का निर्णय लिया। सामने चुनौतीपूर्ण परिस्थितियाँ थीं—घना जंगल, नेटवर्क विहीन क्षेत्र, कच्चे और खतरनाक रास्ते तथा हर कदम पर अनिश्चितता। नेशनल पार्क क्षेत्र तक पहुँचने में टीम को करीब डेढ़ दिन का समय लग गया।

दो दिनों से इंतज़ार, भरोसे की परीक्षा
कई किलोमीटर की पैदल यात्रा के बाद शाम करीब 5 बजे S इंडिया न्यूज़ की टीम उस स्थान पर पहुँची, जहाँ कुछ ग्रामीण एक भवन में पिछले दो दिनों से टीम का इंतज़ार कर रहे थे। ग्रामीणों ने बताया कि माओवादियों का स्पष्ट कहना था कि जब तक S इंडिया न्यूज़ के संपादक स्वयं मौके पर नहीं पहुँचते, वे आत्मसमर्पण की प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ाएंगे।
S इंडिया न्यूज़ की टीम के पहुँचते ही ग्रामीणों के सहयोग से टीम को माओवादियों तक ले जाया गया। वहाँ गांववालों और माओवादियों की एक संयुक्त बैठक चल रही थी। माहौल बेहद संवेदनशील था।

डर के साए में उम्मीद
बैठक के दौरान यह सामने आया कि माओवादी गहरे भय में जी रहे थे। उनमें से तीन सदस्यों पर पहले से ही “देखते ही गोली मारने” का आदेश जारी था। भले ही वे संगठन के बड़े चेहरे न हों, लेकिन हथियारबंद संगठन से जुड़ा होना ही उनके लिए सबसे बड़ा खतरा बन चुका था।
ऐसे हालात में माओवादियों ने लोकतांत्रिक व्यवस्था पर भरोसा जताया और S इंडिया न्यूज़ के मीडिया को एक सेतु के रूप में स्वीकार किया—एक ऐसा माध्यम, जो उन्हें सुरक्षित रूप से प्रशासन और समाज की मुख्यधारा तक पहुँचा सके।

प्रशासन से समन्वय, संवाद की भूमिका
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए S इंडिया न्यूज़ के सलमान चन्द्रगिरी ने तत्काल जिले के पुलिस अधीक्षक डॉ. जितेन्द्र यादव से संपर्क कर पूरे घटनाक्रम से अवगत कराया।
पुलिस अधीक्षक के निर्देश पर तोयनार थाना प्रभारी एवं फरसेगढ़ एसडीओपी के साथ समन्वय स्थापित किया गया। इसके बाद आत्मसमर्पण की दिशा में एक बेहद जोखिम भरा लेकिन निर्णायक सफर शुरू हुआ।

जंगल से थाना तक – रात का संघर्ष
करीब 50 लोग, जिनमें S इंडिया न्यूज़ की टीम, ग्रामीण और माओवादी शामिल थे, घने जंगल से निकलकर किसी तरह तोयनार थाना क्षेत्र तक पहुँचे। तब तक रात हो चुकी थी और सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता बन गई थी।
वाहन उपलब्ध नहीं होने की स्थिति में S इंडिया न्यूज़ की गाड़ी ही सभी के लिए एकमात्र सहारा बनी। उसी वाहन से सभी को रात 11:40 बजे सुरक्षित रूप से तोयनार थाना लाया गया, जहाँ माओवादियों ने विधिवत और औपचारिक रूप से आत्मसमर्पण किया।

मुख्यधारा की ओर एक कदम
आत्मसमर्पण की प्रक्रिया पूरी होने के बाद सभी माओवादियों को आगे की कार्रवाई एवं पुनर्वास प्रक्रिया के लिए बीजापुर नक्सल सेल भेजा गया, ताकि शासन की नीति के तहत उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ा जा सके।

सिर्फ खबर नहीं, जिम्मेदार पत्रकारिता
यह सिर्फ एक एक्सक्लूसिव खबर नहीं थी।
यह भरोसे की जीत थी।
यह संवाद की ताकत थी।
और यह जिम्मेदार पत्रकारिता की जीवंत मिसाल थी।
जहाँ बंदूक की भाषा नहीं, संवाद ने रास्ता बनाया।
जहाँ डर के बीच उम्मीद ने जन्म लिया।
और जहाँ S इंडिया न्यूज़ ने ग्राउंड ज़ीरो से शांति और लोकतंत्र की ओर एक मजबूत पुल तैयार किया।













