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‘पूना मारगेम’ पहल को बड़ी सफलता—10 माओवादी कैडर आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा से जुड़े

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‘पूना मारगेम’ पहल को बड़ी सफलता—10 माओवादी कैडर आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा से जुड़े

 

 

33 लाख के इनामी नक्सलियों ने जमा किए हथियार, पुनर्वास की नई मिसाल**

 

बस्तर संभाग में नक्सल समस्या के समाधान हेतु छत्तीसगढ़ शासन और भारत सरकार द्वारा संचालित “पूना मारगेम—पुनर्वास से पुनर्जीवन” अभियान ने एक और ऐतिहासिक सफलता दर्ज की है। जिले में लंबे समय से सक्रिय 10 माओवादी कैडरों ने आज सुरक्षा बलों के समक्ष आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा में लौटने का निर्णय लिया। इनमें 6 महिला कैडर भी शामिल हैं।
इन सभी पर कुल 33 लाख रुपये का इनाम घोषित था।

भारी हथियारों के साथ किया आत्मसमर्पण

आत्मसमर्पण कार्यक्रम में माओवादी कैडरों ने अपने पास रखे अनेक घातक हथियार भी सुरक्षा बलों को सौंप दिए। इनमें—

  • AK-47 राइफल
  • 2 SLR राइफलें
  • 1 .303 राइफल
  • 1 BGL लॉन्चर
  • 1 स्टेन गन

शामिल हैं। इन हथियारों पर अलग-अलग मिलाकर लगभग 8 लाख रुपये का इनाम था। अधिकारियों के अनुसार इतनी भारी मात्रा में हथियारों का जमा होना यह दर्शाता है कि माओवादी अब तेजी से संगठन छोड़ने की ओर बढ़ रहे हैं।

 


कौन-कौन लौटे मुख्यधारा में?

आत्मसमर्पण करने वालों में माओवादी संगठन की कई महत्वपूर्ण इकाइयों से जुड़े कैडर शामिल हैं। प्रशासन के अनुसार—

  • पीएलजीए बटालियन-01 का प्लाटून कमांडर
  • दरबा डिवीजन के 2 एरिया कमेटी सदस्य
  • पीएलजीए के प्लाटून 31 और 26 के 2 पीपीसीएम
  • गोल्लापल्ली LOS के 2 सक्रिय सदस्य
  • 3 माओवादी पार्टी सदस्य

ने हिंसा छोड़कर लोकतांत्रिक व्यवस्था में विश्वास जताया है। सभी ने सार्वजनिक रूप से घोषणा की कि वे अब समाज निर्माण और विकास में अपनी भूमिका निभाना चाहते हैं।

 


जनविश्वास में बढ़ोतरी, आत्मसमर्पण तेज — एसपी सुकमा

सुकमा जिले के पुलिस अधीक्षक श्री किरण चव्हाण ने कहा—

“आज 10 सक्रिय और इनामी माओवादी आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा का हिस्सा बने हैं। वर्ष 2025 में अब तक 263 माओवादी हिंसा छोड़कर समाज की मुख्यधारा में जुड़ चुके हैं। यह प्रशासन और सुरक्षा बलों के प्रति बढ़ते जनविश्वास का परिणाम है।”

उन्होंने यह भी कहा कि आत्मसमर्पण करने वाले कैडरों को शासन की नीति के अनुसार सभी पुनर्वास लाभ उपलब्ध कराए जाएंगे।

 


“माओवादी विचारधारा कमजोर”— आइजी बस्तर सुन्दरराज पी

बस्तर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक सुन्दरराज पत्तिलिंगम ने कार्यक्रम में कहा—

“सुकमा में इस तरह के आत्मसमर्पण यह स्पष्ट संकेत हैं कि माओवादी हिंसा और उनकी जनविरोधी सोच समाप्ति की ओर है। लोग ‘पूना मारगेम’ अभियान पर भरोसा कर रहे हैं और सम्मानजनक भविष्य की ओर बढ़ रहे हैं।”

उन्होंने बताया कि बीते 11 महीनों में बस्तर रेंज में अब तक 1514 से अधिक माओवादी आत्मसमर्पण कर चुके हैं।
आइजी ने यह भी चेतावनी दी कि—
“देवजी, पाप्पा राव और देवा जैसे वरिष्ठ माओवादी नेताओं के लिए भी अब आत्मसमर्पण ही एकमात्र रास्ता बचा है।”

 


वायान वाटिका बनी उम्मीद की नई जमीन

आत्मसमर्पण समारोह में पुनर्वासित कैडरों द्वारा “वायान वाटिका” में पौधारोपण भी किया गया।
वायान शब्द का गोंडी भाषा में अर्थ है — आशा, उम्मीद और भविष्य

स्थानीय बुजुर्गों की उपस्थिति में लगाए गए इन पौधों को—

  • नए जीवन की शुरुआत,
  • विश्वास की बहाली,
  • और शांतिपूर्ण भविष्य के प्रतीक

के रूप में देखा जा रहा है। पुनर्वासित कैडरों ने कहा कि यह पौधारोपण उनके ‘नए जीवन’ का प्रतीक है।


वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति

आत्मसमर्पण कार्यक्रम में बड़ी संख्या में प्रशासनिक और सुरक्षा अधिकारी मौजूद रहे। जिनमें—

  • पुलिस महानिरीक्षक, बस्तर रेंज — श्री सुन्दरराज पी
  • कलेक्टर, सुकमा — श्री देवेश ध्रुव
  • पुलिस अधीक्षक — श्री किरण चव्हाण
  • उप महानिरीक्षक, सीआरपीएफ — श्री आनंद सिंह
  • स्थानीय जनप्रतिनिधि व ग्रामीण समाज के वरिष्ठजन
  • मीडिया कर्मी एवं बड़ी संख्या में सुरक्षा बलों के जवान

उपस्थित थे।

अधिकारियों ने सभी पुनर्वासित कैडरों का स्वागत करते हुए उन्हें शासन की योजनाओं का लाभ दिलाने की प्रक्रिया प्रारंभ की।


स्थान – सुकमा छ.ग
संवाददाता – उइका नरेश