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बच्चों का खौफनाक सफर: गंगालूर में नदी पार कर स्कूल जाना मजबूरी 

बीजापुर जिला में गंगालूर और कामकानार के बीच नदी पार कर विद्यार्थियों को जाना पड़ता है स्कूल…* *हर दिन ऐसा खतरनाक रास्ता तय करना पड़ता है, जहाँ उन्हें नदी पार करनी होती है बिना पुल या सुरक्षित मार्ग के। बाढ़, तेज बहाव और खराब मौसम में यह सफर उन्हें जानलेवा बना देता है।

यह वाकई एक बेहद चिंताजनक और संवेदनशील मुद्दा है। आप जिस समस्या की ओर ध्यान दिला रहे हैं, वह न सिर्फ बच्चों की शिक्षा में बाधा डालती है, बल्कि उनके जीवन को भी खतरे में डालती है।

यहाँ एक संभावित विस्तृत रिपोर्ट या न्यूज़ लेख की शुरुआत दी जा रही है, जिसे आप सोशल मीडिया, समाचार पत्र या स्थानीय प्रशासन तक भेजने के लिए उपयोग कर सकते हैं:

बच्चों का खौफनाक सफर: गंगालूर में जान जोखिम में डालकर स्कूल जाने की मजबूरी

बीजापुर, छत्तीसगढ़:

एक ओर सरकारें शिक्षा के अधिकार और “पढ़ेगा इंडिया, बढ़ेगा इंडिया” जैसे नारे देती हैं, वहीं दूसरी ओर बीजापुर ज़िले के गंगालूर और कामकानार गांव के बच्चों को आज भी जान जोखिम में डालकर स्कूल जाना पड़ता है। इन दो गांवों के बीच बहने वाली नदी पर न कोई पुल है, न कोई सुरक्षित मार्ग।

हर सुबह ये बच्चे नदी का तेज बहाव पार कर स्कूल पहुँचते हैं। बरसात के दिनों में यह रास्ता और भी खतरनाक हो जाता है। नदी उफान पर होती है, पत्थर फिसलन भरे होते हैं, और ज़रा सी चूक किसी बड़े हादसे का कारण बन सकती है।

स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि कई बार प्रशासन से पुल निर्माण की माँग की गई, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। “हमारे बच्चों की जान दांव पर लगी है, क्या तभी सरकार जागेगी जब कोई हादसा होगा?”—एक अभिभावक की चिंता भरी आवाज़।

मांगें:

• जल्द से जल्द नदी पर पुल का निर्माण किया जाए।

• जब तक पुल नहीं बनता, अस्थायी नाव या अन्य सुरक्षित साधन की व्यवस्था की जाए।

• बच्चों के लिए सुरक्षित स्कूल ट्रांसपोर्ट की सुविधा सुनिश्चित हो।

समाप्ति:

शिक्षा का अधिकार तभी सार्थक है जब वह सुरक्षित हो। इन बच्चों का संघर्ष हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि विकास की दौड़ में हम किन ज़रूरी चीजों को नजरअंदाज कर रहे हैं। अब समय आ गया है कि इन आवाज़ों को सुना जाए और तत्काल कार्रवाई हो।