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धान खरीदी में अनियमितताओं को लेकर किसानों का धरना प्रदर्शन, टोकन व्यवस्था पर उठे सवाल

छत्तीसगढ़ सरकार की धान खरीदी व्यवस्था में कथित अनियमितताओं को लेकर सुकमा जिले के कोंटा विकासखंड में किसानों का आक्रोश एक बार फिर सामने आया है। कोंटा धान खरीदी केंद्र में धान की अनियमित तौल, समय पर टोकन जारी न होने तथा जटिल प्रक्रियाओं से परेशान किसानों ने कोंटा ब्लॉक कांग्रेस कमेटी के सदस्यों के साथ मिलकर धरना प्रदर्शन किया।

धरना प्रदर्शन में बड़ी संख्या में कोंटा एवं आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों के किसान शामिल हुए, जिनमें दुर्गम और अंदरूनी इलाकों से आए किसान भी मौजूद रहे। किसानों का आरोप है कि धान खरीदी केंद्रों में पारदर्शिता का अभाव है और उन्हें धान बेचने के लिए बार-बार सरकारी कार्यालयों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं।


टोकन व्यवस्था बनी किसानों के लिए सबसे बड़ी परेशानी

किसानों ने बताया कि धान बेचने की प्रक्रिया टोकन काटने से शुरू होती है, लेकिन यही प्रक्रिया उनके लिए सबसे बड़ी समस्या बन गई है। टोकन कटवाने के लिए किसानों को तहसील कार्यालय, सहकारी समिति और धान मंडी के बीच लगातार दौड़ लगानी पड़ रही है। इसके बावजूद कई किसानों का टोकन समय पर जारी नहीं हो पा रहा है।

किसानों का कहना है कि शासन द्वारा लागू किए गए नए-नए नियमों और ऑनलाइन प्रक्रियाओं के चलते छोटे और सीमांत किसान सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। कई किसान ऐसे हैं, जो सभी दस्तावेज पूरे होने के बावजूद टोकन से वंचित हैं, जिससे उनका धान खुले में पड़ा खराब होने की आशंका बढ़ गई है।


अनियमित तौल को लेकर नाराजगी

धरना प्रदर्शन के दौरान किसानों ने आरोप लगाया कि कोंटा धान खरीदी केंद्र में धान की तौल में भी अनियमितताएं बरती जा रही हैं। किसानों का कहना है कि निर्धारित मानकों के अनुसार तौल नहीं की जा रही, जिससे उन्हें आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है।

किसानों ने मांग की कि धान खरीदी प्रक्रिया में पारदर्शिता लाई जाए और तौल की व्यवस्था की नियमित निगरानी की जाए, ताकि किसी भी प्रकार की गड़बड़ी को रोका जा सके।


जिलेभर में किसानों को हो रही परेशानी

प्रदर्शनकारी किसानों ने बताया कि यह समस्या केवल कोंटा तक सीमित नहीं है, बल्कि सुकमा जिले के लगभग सभी धान उपार्जन केंद्रों में किसानों को टोकन और धान बेचने को लेकर भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

कई किसानों को एक ही काम के लिए कई बार सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं, जिससे समय और पैसे दोनों की बर्बादी हो रही है। किसानों ने शासन से धान खरीदी प्रक्रिया को सरल और किसान हितैषी बनाने की मांग की।


किसानों की प्रमुख मांगें

धरना प्रदर्शन के दौरान किसानों ने अपनी मांगों को स्पष्ट रूप से रखा। किसानों का कहना है कि जब तक उनकी मांगों पर विचार नहीं किया जाता, तब तक वे आंदोलन जारी रखने को मजबूर होंगे। किसानों की प्रमुख मांगें इस प्रकार हैं—

  1. वन पट्टा धारक किसानों का धान खरीदी किया जाए, ताकि उन्हें भी समर्थन मूल्य का लाभ मिल सके।

  2. जिन किसानों ने कृषि ऋण लिया है, उनका धान भी बिना किसी बाधा के खरीदा जाए।

  3. एग्रिस्टेक (AgriStack) के नाम पर किसानों को गुमराह न किया जाए और इसकी प्रक्रिया को सरल बनाया जाए।

  4. प्रति एकड़ 21 क्विंटल धान खरीदी सुनिश्चित की जाए, ताकि किसानों को उनकी मेहनत का उचित मूल्य मिल सके।


प्रशासन से समाधान की उम्मीद

धरना प्रदर्शन के दौरान किसानों और कांग्रेस कमेटी के सदस्यों ने प्रशासन से मांग की कि धान खरीदी से जुड़ी समस्याओं का शीघ्र समाधान किया जाए। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि समस्याओं का निराकरण नहीं हुआ, तो किसान आंदोलन को और तेज करेंगे।

किसानों का कहना है कि धान खरीदी उनकी आजीविका का मुख्य साधन है और इसमें किसी भी प्रकार की लापरवाही या अनियमितता सीधे तौर पर उनके जीवन और भविष्य को प्रभावित करती है।