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Slug: The seats in the hostels of Sukma district should be increased and all the students should be allowed to enter the hostels.

लोकेशन. सुकमा रिपोर्टर . वेको हिरमा

सुकमा जिले के पोस्ट-मैट्रिक बालक एवं बालिका छात्रावासों में स्वीकृत सीटों की संख्या को बढ़ाने के लिए मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री तथा सुकमा जिले के कलेक्टर को छात्रो ने विज्ञापन देने का प्रयास किया लेकिन कलेक्टर साहब नहीं थे जिससे सुकमा जिले के सभी छात्रो ने नाराजगी जताते हुए कहा कि दस दिन तक छात्रो का मांगे पुरी नहीं होती तो बड़ा आंदोलन करेंगे सुकमा जिले में छात्रावास की सीटों में वृद्धि तथा छात्रों के लिए बेहतर सुविधाओं का अनुरोध किया गया है। और कई वर्षो से मात्र हाॅस्टल 50 सीटें हैं इसके कारण सुकमा जिले के अन्दरुणी क्षेत्रों के आदिवासी छात्र-छात्राएँ रहकर पढ़ाई करने की सुविधा नहीं है लेकिन छात्रो के प्रति शासन प्रशासन के कोई भी प्रतिक्रिया दिखय नहीं दे रहा है।

 

मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं:

(1) छात्रावास क्षमता में वृद्धि:

सुकमा जिला में पोस्ट-मैट्रिक बालक एवं बालिका छात्रावासों में स्वीकृत सीटों की संख्या बढ़ाकर कम से कम 200-200 करने तथा चिंदगढ़, कोंटा आदि क्षेत्रों में अन्य पोस्ट-मैट्रिक छात्रावासों में 150 – 150 सीटें बढ़ाने का अनुरोध किया गया है। इसमें सभी प्री. मैट्रिक छात्रावासों में 100 -100 सीटें बढ़ाने का भी अनुरोध किया गया है।

 

(2) स्थायी छात्रावास भवन:

इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि सुकमा में पोस्ट-मैट्रिक छात्रावास भवन अस्थायी है तथा बालकों एवं बालिकाओं दोनों के छात्रावासों के लिए स्थायी भवन के निर्माण का अनुरोध किया गया है।

 

 

(3) लंबित खाद्य सहायता:पत्र में उल्लेख किया गया है कि 2024-25 शैक्षणिक वर्ष से पोस्ट-मैट्रिक छात्रावासों में अतिरिक्त छात्रों के लिए भोजन सहायता राशि अभी तक प्राप्त नहीं हुई है, जिससे मेस प्रबंधन में कठिनाइयां आ रही हैं।

 

(4) शैक्षिक असमानता को संबोधित करता है:

मूल मुद्दा यह है कि आदिवासी बहुल और नक्सल प्रभावित सुकमा के सुदूर अंदरुणी इलाकों में आदिवासी छात्रों के लिए उचित आवास सुविधाओं का अभाव है, जो उनकी शिक्षा तक पहुंच में बाधा डालता है।